( यहाँ NCERT की कक्षा 6 की इतिहास की पाठ्य पुस्तक ‘हमारे अतीत-1’ में संकलित ‘नये प्रश्न नये विचार ‘ अध्याय के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संकलित किया गया है | )
◼️ बौद्ध धर्म की स्थापना ( Baudh Dharm Ki Sthapna ) महात्मा बुद्ध ने की थी । उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था | उनको गौतम के नाम से भी जाना जाता था ।
◾महात्मा बुद्ध का जन्म ( Mahatma Buddh Ka Janm ) आज से 2500 साल पहले वैशाख मास की पूर्णिमा को ( 563 ई० पू० ) कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नामक वाटिका में हुआ ।
🔹बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन ( शाक्य वंश ) था जो कपिलवस्तु का राजा था ।
🔹बुद्ध की माता का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से सम्बंध रखती थी तथा देवदह की राजकुमारी थी । बुद्ध के जन्म के सातवें दिन उसकी माता की मृत्यु हो गयी थी ।
🔹बुद्ध का पालन-पोषण उसकी मौसी व विमाता प्रजापति गौतमी ने किया ।
🔹बौद्ध गया ( बिहार ) में बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और सारनाथ ( उत्तर प्रदेश ) में उन्होंने प्रथम उपदेश दिया । बुद्ध ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए ।
🔹483 ई० पू० में कुशीनगर/ कुशीनारा में बुद्ध की मृत्यु हो गयी ।
🔷 बुद्ध के उपदेश
संसार दुःखों का घर है ।
2. दुखों का कारण इच्छाएँ है ।
3.इच्छाओं को नियंत्रित कर हम सुखी जीवन जी सकते हैं ।
4. अष्ट मार्ग पर चल कर दुखों का निवारण किया जा सकता है |
🔹भिक्षुओं के समूह को संघ कहते थे ।
🔹‘विनय पिटक’ में भिक्षुओं के लिए बनाए गए नियमों का उल्लेख है । विनय पिटक से पता चलता है की संघ में पुरुषों व स्त्रियों के रहने की अलग-अलग व्यवस्था थी ।
🔹सभी व्यक्तियों को संघ में प्रवेश का अधिकार था ।
🔹बौद्ध-भिक्षु एकांत स्थलों पर रहकर ध्यान लगाते थे । महाराष्ट्र के कार्ले में पहाड़ों को काटकर बनाई गयी एक गुफ़ा मिली है जिसमें भिक्षु साधना करते थे ।
🔹सत्यकाम जाबाल एक निर्धन बालक था जो सत्य जानने के लिए जिज्ञासु था । गौतम नामक ब्राह्मण ने उसे अपना शिष्य बनाया । कालांतर में यह बालक महान विद्वान बना ।
🔹बुद्ध ने अधिक से अधिक पाने की इच्छा को ‘तन्हा’ कहा है जिसका अर्थ है – तृष्णा ।
🔹किसा गौतमी की कहानी ( Kisa Gautami Ki Kahani ) बुद्ध से जुड़ी किंवदंतियों में से एक है ।
◾संभवत: बुद्ध के समय में ही या उससे थोड़ा पहले उपनिषदों की रचना हुई जिनमें आत्मा-परमात्मा के सम्बन्धों पर प्रकाश डाला गया ।
🔹उपनिषद उत्तर-वैदिक ग्रंथों का हिस्सा थे । इनमें गुरु व शिष्यों के बीच की बातचीत का संकलन किया गया है ।
🔹उपनिषद का शाब्दिक अर्थ है – गुरु के समीप बैठना ।
🔹उपनिषदों के कई विचारों का विकास बाद में शंकराचार्य ने किया ।
🔹छंदोग्य उपनिषद में बुद्धिमान भिखारी की कहानी है ।
🔹गार्गी उत्तर-वैदिक काल की एक महान विदुषी थी ।
🔹लगभग इसी समय महान वैयाकरण पाणिनि ने ‘अष्टाध्यायी’ की रचना की और व्याकरण के नियमों को लघु सूत्रों के रूप में लिखा जिनकी संख्या लगभग 3000 है ।
◾2500 साल पहले के क़रीब ही जैन धर्म के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विचारक महावीर स्वामी ने अपने विचारों का प्रसार किया ।
🔹वे जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थकर थे ।
🔹वे वज्जि गणराज्य के लिच्छवी वंश के राजकुमार थे ।
🔹30 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और ज्ञान की तलाश में निकल पड़े ।
🔹12 वर्ष की कठोर तपस्या के पश्चात उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई ।
🔹उन्होंने अहिंसा के नियम का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया ।
🔹बुद्ध की भाँति महावीर स्वामी ने भी अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिये ।
🔹’जैन‘ शब्द ‘जिन‘ शब्द से निकला है जिसका अर्थ है – विजेता । इसीलिए महावीर स्वामी को जिन भी कहा जाता है ।
🔹जैन धर्म की शिक्षाएँ कई शताब्दियों तक मौलिक रूप में ही रही । लगभग 1500 साल पहले गुजरात के वल्लभी नामक स्थान पर ये लिखी गई ।
🔹कालांतर में बौद्ध व जैन भिक्षुओं ने स्थाई निवास बनाए जिन्हें ‘विहार’ कहा जाता था । आरम्भिक विहार लकड़ी के बनाए गए थे । बाद में ईंटों के बनाए जाने लगे । कुछ विहार पहाड़ियों को खोद कर बनाए गए थे ।
◾जिस समय बौद्ध धर्म व जैन धर्म लोकप्रिय हो रहे थे लगभग उसी समय ब्राह्मणों ने आश्रम-व्यवस्था का विकास किया ।
🔹आश्रम का अर्थ है – जीवन का एक चरण ।
🔹आश्रम चार थे – ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ व सन्यास ।
⚫ जुरथ्रुस्त ईरान के एक महान पैग़म्बर/ दार्शनिक थे । उनकी शिक्षाएँ ‘जेंद अवेस्ता’ नामक ग्रंथ में मिलती हैं ।
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